Lathe Machine Operations

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लेथ मशीन / खराद मशीन संचालन 

Lathe Machine Operations 

Lathe Machine Operations

                                   ऐसा कहा जाता है कि लेथ मशीन सभी मशीनों की मां है। इस मशीन पर हम किसी भी प्रकार का वर्क कर सकते हैं, जैसे फेसिंग (Facing), टर्निंग (Turning), बोरिंग (Boring) थ्रेडिंग (Threading), ग्रूविंग (Grooving), टेपर टर्निंग (Taper Turning), पार्टिंग (parting), ड्रिलिंग (Drilling), नर्लिंग (Knurling) आदि कार्य हम लेथ मशीन पर कुशलता से कर सकते हैं। विभिन्न कार्य जो हम लेथ मशीन / खराद मशीन पर करते हैं। वे इस प्रकार है :-

फेसिंग ( Facing ) Lathe Machine Operations

                        यह पहला ऑपरेशन है जो वर्कपीस पर किया जाता है। जॉब को लेथ मशीन के चक में क्लैंप करके जॉब को विद्युत मोटर की सहायता से घुमाया जाता है। टूल को टूलपोस्ट (Toolpost) में क्लैंप किया जाता है। फिर टूल को क्रॉस स्लाइट की मदद से जॉब के सेंटर के समांतर टूल के द्वारा जॉब के सामने वाले फेस को मशीनिंग किया जाता है इस प्रक्रिया को फेसिंग कहते हैं।

टर्निंग (Turning) Lathe Machine Operations

                             किसी भी जॉब को बाहर की तरफ से (Outside) टर्निंग करने के लिए लेथ मशीन के चक में जॉब को थ्रू क्लेम किया जाता है। टूल को टूल पोस्ट में क्लैंप किया जाता है। बाद मे विद्युत मोटर के द्वारा जॉब को घुमाया जाता है। अप्रोन (Apron) को जॉब के सेंटर के समांतर फील्ड देकर जॉब के ऊपर कट लगाया जाता है। कट लगाकर मनचाहा डायमीटर बनाया जाता है। इस प्रक्रिया को टर्निंग कहते हैं।

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पार्टिंग (Partying) Lathe Machine Operations

                            जॉब को लेथ मशीन पर थ्रू क्लैंम्प कर दिया जाता है। एक विशेष प्रकार के टूल को टूलपोस्ट में क्लेम किया जाता है। जो किसी भी जॉब को काटने यानी पार्ट करने का काम करता है। फिर लेथ मशीन को स्टार्ट करके क्रॉस स्लाइड के द्वारा जॉब को आवश्यकतानुसार कट / पार्ट किया जाता है, इस प्रक्रिया को पार्टींग कहते हैं।

बोरिंग (Boring) Lathe Machine Operations

                         किसी भी वर्कपीस के अंदर की तरफ मशीनिंग करना है तो वर्कपीस इसको लेथ मशीन के चक में थ्रू क्लैंप किया जाता है। फिर टेलस्टॉक (Tailstock) में ड्रिल (Drill) को फिट करके जॉब के सेंटर में सुराख किया जाता है। मान लो जॉब में पहले से सुराख है। तो बोरिंग टूल को टूल पोस्ट में क्लेम करके एप्रोन को फीड देकर बोरिंग टूल को जॉब के सेंटर के समांतर सुराख में चलाया जाता है। इस प्रक्रिया को बोरिंग कहते हैं।

ड्रिलिंग (Drilling) Lathe Machine Operations

                       जिस जॉब में ड्रिंक करना है उस जॉब को लेथ मशीन के चक में थ्रू क्लैंप कर लेते हैं। फिर लेथ मशीन के टेलस्टॉक के स्पिंडल में ड्रिल को फिट करके टेलस्टॉक को वर्कपीस के नजदीक ले जाकर टेलस्टॉक को लेथ मशीन के बेड पर क्लेम कर लेते हैं, फिर लेथ मशीन को स्टार्ट किया जाता है। फिर टेलस्टॉक के हैंडल को घुमा कर जॉब के सेंटर में सुराख किया जाता है। इस प्रक्रिया को ड्रिलिंग कहते हैं।

रिमिंग (Reaming) Lathe Machine Operations

                             ड्रील के द्वारा सुराख करने के बाद में सुराख को पॉलिश या एक्यूरेट साइज में करने के लिए रीमर का प्रयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया ड्रीलिंग के समान ही होती है। फर्क इतना है की ड्रिल ज्यादा माल काटने में सक्षम होता है जबकि रीमर बहुत ही कम माल कटिंग करता है। रीमर के लिए माल कटिंग का जो स्टैंडर्ड रखा गया है, वह इस प्रकार है :  0.002 मि. मी. से 0.375 मि. मी. तक रखा गया है। ‌प्रक्रिया को रिमिंग कहते हैं।

basic lathe machine operations

 काउंटर बोरिंग (Counter Boring) Lathe Machine Operations

                         वर्कपीस को लेथ मशीन के चक में क्लेम करके वर्कपीस के बोर के मुंह पर कुछ गहराई तक अंदर बोरिंग टूल के द्वारा बोर कुछ बड़ा किया जाता है। इस प्रक्रिया को काउंटर बोरिंग कहलाता है।

 नर्लिंग (Knurling) Lathe Machine Operations

                        वर्कपीस को लेथ मशीन के चक में थ्रू क्लेम किया जाता है। नर्लिंग करने के लिए एक विशेष टूल प्रयोग में किया जाता है जिससे नर्लिंग टूल कहते हैं। नर्लिंग टूल को टूल पोस्ट में क्लेम किया जाता है। क्रॉस स्लाइट के द्वारा जॉब पर दबाव बनाया जाता है। तत्पश्चात एप्रोन को फीड  देकर नर्लिंग प्रक्रिया की जाती है।

चम्फरिंग (Chamfering) Lathe Machine Operations

                         किसी कंप्लीट जॉब की किनारों को बेवेल करने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया टूल को टूल पोस्ट में क्लैंप करके टूल द्वारा की जा सकती है या कंपाउंड स्लाइड को निश्चित कोण पर घुमा कर सेट किया जाता है फिर कंपाउंड स्लाइड से चैंपर दिया जाता है। यह जाॅब के किनारों की बर को हटाने, वर्कपीस के क्षतिग्रस्त होने से बचाने और बेहतर दिखने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया को चम्फरिंग कहते हैं। चम्फरिंग 30°, 45°, और 60° के कोण पर की जाती है

 ग्रूविंग (Grooving) Lathe Machine Operations

                    वर्कपीस के बाहरी डायमीटर या अंदरूनी डायमीटर पर कभी विशेष प्रकार के खांचे / स्लॉट बनाने की प्रक्रिया को ग्रूविंग कहा जाता है। ग्रुव चौकोर, वी या गोलाई में हो सकते हैं (Grooves can be square, v or rounding)

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फॉर्मिंग (Forming) Lathe Machine Operations

                      इस प्रक्रिया में टूल के कटिंग एज को विभिन्न प्रकार उत्तल (Concave), अवतल (Convex) या किसी अनियमित सतह (Irregular Surface) की फॉर्म में ग्राइंडिंग किया जाता है। फिर उस टूल की मदद से जॉब पर फार्मिंग प्रक्रिया की जाती है। इसी प्रक्रिया को फॉर्मिंग कहते हैं।

 टेपर टर्निंग (Taper Turning) Lathe Machine Operations

                          जॉब की सतह पर टेपर देने के लिए कटिंग टूल को जॉब की टेपर के एंगल के सेंटर के एक निर्धारित कोण पर कंपाउंड स्लाइड द्वारा चलाया जाता है। इससे बनने वाला जॉब शंकुआकार लेता है इस प्रक्रिया को टेपर टर्निंग कहते हैं।

थ्रेडिंग (Treading) Lathe Machine Operations

                          किसी गोलाकार जाॅब के बाहरी या अंदरूनी सतह पर बने हेलीकल (helical) ग्रुव जो लगातार एक आकार, एक कोण और एक समान दूरी पर हो। ऐसी ग्रुप को थ्रेड कहते है। और प्रक्रिया को थ्रेडिंग कहा जाता है।

 अंडरकटिंग (Undercutting) Lathe Machine Operations

                            अंडरकट जॉब के भीतरी डायमीटर  (Inside Diameter) या बाहरी डायमीटर (Outside Diameter) पर बनाए जाते हैं, जैसे हमें बाहरी डायमीटर पर चूड़ी निकालनी है तो चूड़ी का साइज बनाने के बाद जहां पर चूड़ी आगे खत्म हो रही है वहां पर चूड़ी की गहराई से कुछ ज्यादा गहराई में अंडरकट लगाना होता है। जिससे जो चूड़ी निकालने का कटिंग टूल है वह आसानी से पार हो जाए। ठीक ऐसा ही भीतरी डायमीटर पर भी किया जाता है। इस प्रक्रिया को अंडरकटिंग कहते हैं।

centre lathe machine operations

एसेंट्रिक टर्निंग (Eccentric Turning) Lathe Machine Operations

                       यह एक टर्निंग ऑपरेशन है, जिसमें किसी जाॅब आउट सेंटर करके टर्निंग करना होता है। इस विधि का उपयोग आम तौर पर क्रैंकशाफ्ट (Crankshaft) और कैमशाफ्ट (Camshaft) के लिए किया जाता है।

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