History of Lathe Machine लेथ मशीन का परिचय और इतिहास
खराद मशीन एक ऐसी मशीन है जिस पर कार्य खंड (workpiece) को पकड़ कर घुमाया जाता है और कटिंग टूल उस कार्य खंड की घुमाव अक्ष (centre) के समांतर लंबवत या किसी अन्य कोण पर चल कर कटाई करता है।
लेथ मशीन पर छोटे से नट (nut) से लेकर बडे़-बडे़ समुद्री जहाजों के प्रोपेलर साफ्ट तथा टरबाइनों के साफ्ट आदी बनाए जाते हैं ।
लेथ मशीन एक ऐसी मशीन है जिसकी सहायता से कार्य खंड (work piece) पर विभिन्न संक्रियाएं की जाती है जैसे फेसिंग (facing), टर्निंग (turning), बोरिंग (boring), ड्रिलिंग (drilling), रिमिंग (reaming), चुडियां (trading) और भी कई प्रकार की संक्रियाएं की जाती है ।
इस प्रकार हम लेथ मशीन पर बेलनाकार (Cylindrical) गोलाकार (round), शंक्वाकार (Conical) और सपाट सतह (surface) मशीनिंग (machining) कर सकते हैं ।
लेथ मशीन पर कुछ अटैचमेंट लगाकर ग्राइंडिंग (grinding) और मीलिंग(milling) की क्रियाएं भी आसानी से की जा सकती है ।
लेथ मशीन का आविष्कार लगभग 300 वर्ष पूर्व एक लकड़ी के लट्ठे को गोल बनाने के लिए ट्रि-लेथ (tree-lathe) के रूप में किया गया था। इसमें पास-पास लगे दो पेड़ों के तनों के मध्य लकड़ी का लट्ठा लगाकर उसे मथनी के समान रस्सी से घुमाया गया इस रस्सी का एक सिरा पेड़ की टहनी पर बांधा गया तथा दूसरा सिरा लट्ठे पर लपेटने के बाद हाथ से खींचा गया इससे लट्ठा एक दिशा में गोल घुमा तथा छोड़ने पर विपरीत दिशा में पेड़ की टहनी द्वारा गोल घुमाया गया।
अंग्रेजी में लट्ठे या पेड़ के तने को लथ( Lath) कहते हैं। अतः इसी Lath शब्द से लेथ (Lathe) शब्द का जन्म हुआ इसके बाद फिर पेड़ों के स्थान पर दो स्थाई लकड़ी की खूबियों के मध्य कार्य (Work) को पकड़कर कमानी से गति देकर गोल बनाया गया।
सन् 1700 ई. में चूड़ी काटने वाली खराद मशीन का आविष्कार हुआ इसमें कार्य को 2 स्तंभों (pillars) के मध्य बांधने तथा कार्य के समांतर लगे लीड स्क्रू द्वारा चूड़ी काटी जाती थी इस मशीन पर विभिन्न चूड़ियां काटने के लिए उसी चूड़ी वाले लीड स्क्रू को मशीन पर लगाना पड़ता था तथा गरारियां बदलने का कोई साधन नहीं था।
सन् 1800 ई.मे हेनरी माउडस्ले (Henry Mousdslay) ने पोल लेथ (Pole Lathe) काउंटर वेट लेथ (Counter Weight Lathe) तथा फ्लाई व्हींल लेथ (Fly Wheel Lathe) का अविष्कार कर उद्योगिक युग की शुरुआत की इसके पश्चात फ्री-लैंड (Free Land) ने लेथ के स्पिण्डल को गियरों के माध्यम से लीड-स्क्रू के साथ जोड़ दिया जिससे आधुनिक सेंटर लेथ तथा अन्य मशीनों का विकास हुआ।
लेथ मशीन को सभी मशीनों की जननी कहा जाता है। क्योंकि यदि लेथ मशीन का आविष्कार न होता तो शायद अन्य मशीनों का बनना भी मुश्किल था ।
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