Anodising Prakriya ki Taiyari एनोडाइजिंग प्रक्रिया की तैयारी Preparatory of Anodizing Process

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इलेक्ट्रोप्लेटिंग के समान ही एनोडाइजिंग का प्रोसेस (Process of Anodizing) है जो विविध चरणों में पूर्णता प्राप्त करने वाली एक रासायनिक प्रक्रिया है। एनोडाइजिंग की सम्पूर्ण प्रक्रिया को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जाता है।

Anodising Prakriya ki Taiyari एनोडाइजिंग प्रक्रिया की तैयारी Preparatory of  Anodizing Process

एनोडाइजिंग प्रक्रिया की तैयारी Anodising Prakriya ki Taiyari Preparatory of  Anodizing Process

1*  वास्तविक एनोडाइजिंग से पहले वस्तुओं को चमकाने व साफ करने की पूर्व क्रियाएं।

2*  बाथ तैयार करना और बाथ में वस्तुओं को लटकाकर एनोडाइज की परत चढ़ाना।

3* एनोडाइजिंग क्रिया द्वारा ऑक्साइड की परत को वस्तुऔं पर स्थाई और वांछित रंगरूप प्रदान करना ।

उपर की तीनों प्रक्रियाओं में भी कई-कई क्रियाएं की जाती हैं। नीचे हम इन तीनों ही प्रक्रियाओं का विशद विश्लेषण व क्रियात्मक अध्ययन करेंगे ताकि, किसी उस्ताद या अनुभवी कारीगर के अभाव में, आप स्वयं संतोषजनक एनोडाइजिंग कर सकें।

एनोडाइजिंग से पूर्व की क्रियाएं (Preparatory Processes)

किसी भी वस्तु पर-चाहे वह शुद्ध एल्यूमिनियम हो, वह शुद्ध एल्यूमिनियम की बनी हो या एल्यूमिनियम मिश्रित धातु की अथवा अन्य किसी मेटल को एनोडाइजिंग करने के पहले उसकी सभी सतहों की अच्छे से सफाई करना जरुरी होता है। 

किसी भी वस्तु की सम्पूर्ण सफाई पांच चरणों मे होती हैं। बकिंग, डीग्रीसिंग, एसिड क्लीनिंग, हॉट एल्कलाइन क्लीनिंग और फाइनल बाथ के रूप में की जाती है। 

इलेक्ट्रोप्लेटिंग करते समय आवश्यक नहीं कि सभी वस्तुओं को बफ मशीन या पॉलिशिंग बेल्ट द्वारा चमकाया जाए । कुछ वस्तुओं को बफ मशीन पर यदि घिसा और चमकाया (buffing) जाता है तो भी उसका उद्देश्य प्रधान रूप से सतह एकसार (smooth) बनाना और धातु के फालतू अंशों को घिसकर हटाना होता है। 

इलेक्ट्रोप्लेटिंग द्वारा वस्तुओं की सम्पूर्ण सतह पर दूसरी धातु की परत चढ़ाई जाती है और वस्तु की वास्तविक धातु प्लेटिंग चढ़ाई गई धातु के नीचे छिप जाती है अतः वस्तु की सतह का पूर्णरूप से स्वच्छ (perfectly clean) होना तो आवश्यक है परन्तु अत्यधिक चमकीला या पॉलिश किया हुआ (polished) होना अनिवार्य नहीं है। 

एनोडाइजिंग में वस्तुओं की सतह पर ऑक्साइड के कणों को जमाया जाता है और अधिकांश वत्तुओं पर ऑक्साइड की यह सतह पारदर्शी (transparent) चढ़ाई जाती है और शेष वस्तुओं पर उसी रंग की जिस रंग की धातु की सतह होती है अतः वस्तुओं की सतह का अत्यधिक चमकीला होना अच्छी एनोडाइजिंग की प्रथम शर्त है। 

वस्तुओं को जगमग चमकदार (bright) बनाने के लिए बफ मशीन पर लगे कपड़े के सिले हुए पॉलिशिंग पेडों (polishing pads) द्वारा उन पर पॉलिश की जाती है । वस्तुओं पर पॉलिश करने के लिए सदैव साफ व मुलायम पेडों का प्रयोग करना चाहिए और उन पर कोई पॉलिश भी लगाते जाना चाहिए।

पॉलिशों के फार्मूले (Formulas for Polish)

आप पॉलिश करने के लिए वस्तु की धातु के अनुरूप किसी भी तरल, पेस्ट या पाउडर पॉलिश (liquid, pest or powder) का प्रयोग कर सकते हैं । परन्तु एल्यूमिनियम और इसकी मिश्र धातुओं पर पॉलिश करने के लिए नीचे दिए गए दो फार्मूलों में से किसी भी एक फार्मूले के अनुसार पेस्ट पॉलिश बनाकर प्रयोग कीजिए। ये पॉलिशें सस्ती तो पड़ेंगी ही, काम भी तेजी से और अधिक अच्छा करेंगी।

रसायन का नाम – प्रतिशत मात्रा

क्रोमिक एसिड (Chromic Acid) – 70%

स्टीयरीन (Stearine) – 24%

ऑलिक एसिड (Oleic Acid) – 6%

दूसरा फार्मूला (Another formula)

एक किलोग्राम पेस्ट पॉलिश बनाने के लिए आप नीचे दिए गए रसायनों को उनके सामने अंकित मात्रा में एक जगह मिलाकर पॉलिश तैयार करके रख लीजिए। 

रसायन का नाम – मात्रा

पोटाश लाइम (Potash-lime) – 725 ग्राम

स्टीयरिन (Stearine) – 225 ग्राम

तारपीन का तेल (Turpentine) – 25 मि. ली.

मोम (Wax) – 15 ग्राम

सोलीडॉल-टी (Solidol-T) – 15 ग्राम

बहुत छोटी वस्तुओं पर पॉलिश करना (Barrel Polishing)

बहुत छोटी वस्तुओं पर जिन्हें हाथ में पकड़ कर बफ मशीन के पेड पर नहीं लगाया जा सकता उनको लकड़ी के बने ड्रम (Wooden Barrel) में भरकर पॉलिश की जाती है। इस कार्य के लिए छोटे माप के ड्रम का प्रयोग करना चाहिए और ड्रम की गति भी दस बारह चक्कर प्रति मिनट से अधिक नहीं रखनी चाहिए। 

ड्रम के लगभग एक चौथाई भाग में वस्तुएं भरी जाती हैं और शेष भाग में लोहे की गोलियां। प्रति लीटर पानी में पच्चीस से पैंतीस ग्राम तक साबुन (Soap) और तीन ग्राम बेन्जीन (Benzene) मिलाकर घोल बनाइये और ड्रम में भर दीजिए। इस ड्रम को लगभग आठ घण्टे तक घूमने दीजिए एल्यूमिनियम की वस्तुएं जगमग चमकने लगेंगी। 

रासायनिक सफाइयां (Chemical Cleanings)

इलेक्ट्रोप्लेटिंग करने के पूर्व सभी वस्तुओं की सफाई चार चरणों में की जाती है और उन्हीं चार चरणों में आप एनोडाइजिंग करने से पहले एल्यूमिनियम तथा अन्य धातुओं से बनी वस्तुओं की सफाई भी कर सकते हैं। परन्तु एल्यूमिनियम और इसकी मिश्र धातुओं से बनी वस्तुओं पर आप नीचे लिखे तरीके से सफाई करके भी बहुत बढ़िया एनोडाइजिंग कर सकते हैं। 

इस पद्धति का प्रयोग करने पर श्रम, समय व खर्च तीनों में बचत तो होती ही है काम भी बहुत बढ़िया होता है। इस पद्धति द्वारा आप केवल दो चरणों में वस्तुओं की सम्पूर्ण सफाई कर सकते हैं।

 डिग्रेडिंग या विजातीय पदार्थों को हटाना (Degrading or Degreasing)

पॉलिश की गई वस्तुओं की सतह पर पॉलिश के रचकों, वस्तु के अणुओं और पेंड के कपड़े व अन्य पदार्थों के सूक्ष्म कणों की अदृश्य जमी हुई परत रहती है। सबसे पहले वस्तुओं की सतह से इस परत को हटाया जाता है। ट्राइक्लोरोएथीलीन (Trichloroethylene) या परक्लोरएथीलीन (Perchlorethylene) या व्हाइटस्प्रिट पर आधारित मिश्रण का प्रयोग कर सकते हैं। वैसे नीचे दिए गए फार्मूले के अनुसार बाथ बनाकर एल्यूमिनियम और इसकी मिश्र धातुओं की सफाई कम लागत पर सुगमता से की जा सकती है । पूरा फार्मूला व प्रयोग विधि इस प्रकार है :-

ट्राईसोडियम फास्फेट (Trisodium Phosphate) –  40 से 45 ग्राम

सोडियम सिलीकेट (Sodium Silicate) – 30 से 35 ग्राम

कास्टिक सोडा (Caustic Soda) – 10 से 12 ग्राम

शुद्ध जल (Fresh Water) – एक लीटर

इस बाथ का प्रयोग 150° फारेनहाइट से 158° फारेन० (65° to 70°C) तक गर्म अवस्था में किया जाता है। वस्तुएं मात्र तीन-चार मिनिट के लिए ही इस बाथ में डुबोई जाती हैं और उन्हें निकाल कर पर्याप्त साफ पानी में धो लिया जाता है। इससे वस्तुओं की डीग्रीसिंग हो जाती है।

एल्यूमिनियम की वस्तुओं की डीग्रीसिंग के लिए आप इस फार्मूले के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का बाथ बनाकर भी प्रयोग कर सकते हैं। एक लीटर गर्म पानी में 25 ग्राम सोडियम कार्बोनेट (Sodium Carbonate) और 25 ग्राम ट्राईसोडियम फास्फेट (Trisodium Phoshate) मिलाकर यह बाथ बनाया जाता है। 

इसको बाथ को 140° फा० से 175° फा० (60° से 80° सेण्टीग्रेड) गर्म अवस्या में रखकर प्रयोग किया जाता है। इस बाथ में तीन से पांच मिनट वस्तुओं को डुबो कर उण्डे पानी में धोकर साफ कर लिया जाता है। दोनों ही बाथ लगभग समान रूप से उपयोगी हैं।

स्नग्ड रिमूविंग या फाइनल सफाई (Smudge Removing)

उपरोक्त विधि से एल्यूमिनियम अथवा इसकी मिश्र धातुओं से बनी वस्तुओं की डीग्रीसिंग करने पर आपको उनकी एसिड क्लीनिंग, हाट एल्कलाइन क्लीनिंग और फाइनल क्लीनिंग नहीं करनी पड़ती-केवल नीचे लिखे फार्मूले के अनुसार बाथ बनाकर उसमें वस्तुएं साफ कर लीजिए उन पर जमा रसायनों, अल्काली, विजातीय द्रव्यों आदि सभी का सम्पूर्ण प्रभाव एकबार में ही हट जाएगा। इसीलिए इस क्रिया को स्मग्ड रिमूविंग अर्थात् विजातीय तत्वों का हटाना कहा जाता है। पूरा फार्मूला व प्रयोग विधि इस प्रकार है :-

क्रोमिक एसिड (Chromic Acid) – 100 ग्राम

सल्फ्यूरिक एसिड (Sulphuric Acid) –  10 मि० ली०

ताजा पानी (Fresh Water) – एक लीटर

इस बाथ का प्रयोग ठण्डी अवस्था में ही किया जाता है अर्थात् सामान्यतय इसे गर्म नहीं करना पड़ता। बहुत अधिक सर्दी के मौसम में इसे 70 डिग्री फारेन हाइट (20°C) गर्म करना पड़ता है। इस बाथ में वस्तुओं को मात्र तीन से पांच मिनट तक के लिए ही डुबोया जाता है । बाथ से वस्तुएं निकाल कर ठण्डे बहते हुए पानी में उन्हें धोकर साफ कर लिया जाता है। अब आपकी ये वस्तुएं एनोडाइजिंग के लिए तैयार हैं।

एनोडाइजिग करना (The Anodizing)

बाथ से भरे इलेक्ट्रोप्लेटिंग के समान ही एनोडाइजिंग की मुख्य क्रिया भी वस्तुओं को हुए टैंक में लटकाकर और उनमें विद्युत करेण्ट का प्रवाह चालू करके ही की जाती है। यद्यपि नब्बे प्रतिशत से भी अधिक एनोडाइजिंग केवल एल्यूमिनियम की बनी वस्तुओं पर ही की जाती है परन्तु जिंक, कैडमियम, सिल्वर, मैग्नेशियम और स्टील आदि धातुओं और इनकी मिश्र धातुओं से बनी वस्तुओं पर भी कभी-कभी एनोडाइजिंग की जाती है। 

एल्यूमिनियम की बनी हुई वस्तु पर भी वस्तु के रूप-रंगआकार और उपयोगिता के अनुसार बहुधा तीन अलग-अलग प्रकार की एनोडाइजिंग की जाती है। इन सभी प्रकार की एनोडाइजिंग के लिए अलग-अलग फार्मूले के अनुसार बाथ तैयार किए जाते हैं और उन्हें प्रयोग करने के तरीके व संचालन परिस्थितियां भी भिन्न-भिन्न ही होती हैं । इन सभी फार्मूलों और प्रयोग विधियों का विस्तृत विवेचन आगामी अध्याओं में दिया गया है।

ऑक्साइड फिल्म की सीलिंग (Sealing of oxide film)

इलेक्ट्रोप्लेटिंग प्रोसेस द्वारा वस्तुओं की सतह पर चढ़ाई जाने वाली धातु की मजबूत, चमकदार, पूर्णतय चिकनी और स्थाई परत (smooth and permanent layer) चढ़ती है अतः वस्तुओं को बाथ से निकालने के बाद मात्र धोकर साफ ही करना पड़ता है परन्तु एनोडाइजिंग प्रक्रिया द्वारा वस्तुओं की सतह पर मात्र उसी धातु के ऑक्साइड (Oxide) की परत चढ़ती है। 

ऑक्साइड की यह परत–चाहे मोटी हो या पतली, रंगीन हो या पारदर्शी-बहुत बारीक-बारीक छेदों से युक्त (porous) और मुलायम होती है। इसे स्थाई बनाना अत्यन्त आवश्यक है नहीं तो कुछ समय पश्चात् वस्तुओं की सतह से ऑक्साइड की यह परत स्वयं क्षरित हो जाएगी। यही कारण है कि किसी भी वस्तु पर एनोडाइजिंग की वास्तविक क्रिया करने के तत्काल बाद ही उस पर जमी हुई ऑक्साइड की परत को स्थाई बनाया जाता है। 

यह प्रक्रिया वस्तुओं को रासायनिक मिश्रणों में एक निश्चित समय तक डुबोए रखकर की जाती है तथा तकनीकी भाषा में इसे फिल्म जमाना या फिल्म सील करना अर्थात् सीलिंग आफ ऑक्साइड फिल्म कहा जाता है।

एनोडाइजिंग की गई वस्तुओं पर ऑक्साइड की जमी हुई फिल्म को स्थाई बनाने के लिए आप नीचे लिखे तीन फार्मूलों में से किसी एक के अनुसार बाथ बनाकर प्रयोग कर सकते हैं। 

किस वस्तु पर किस प्रकार के बाथ का प्रयोग किया जाए यह काम की क्वालटी और एनोडाइजिंग द्वारा जमाई गई ऑक्साइड की परत की मोटाई (thickness of film) पर निर्भर करता है। बहुधा हैवी ड्यूटी बाथ का प्रयोग मोटी परत की एनोडाइजिंग पर किया जाता है और अन्य बाथों का ट्रांसपेरेण्ट या सेल्फ कलर्ड पतली सतहों पर।

1. हेवी ड्यूटी सोलिंग बाथ (Heavy Duty Sealing Bath)

शुद्ध एल्यूमिनियम और मिश्रित धातुओं से बनाई गई वस्तुओं पर मोटी एनोडाइजिंग अर्थात् आक्साइड की मोटी परत जमाने के बाद उसे स्थाई बनाने के लिए बहुधा इस बाथ का प्रयोग किया जाता है । बाथ का पूर्ण फार्मूला और प्रयोग विधि इस प्रकार है

पोटाशियम बाइक्रोमेट (Potassium Bichromate) – 90 से 100 ग्राम 

केल्शिनेड सोडा (Calcined Soda) – 20-22 ग्राम

कॉस्टिक सोडा (Caustic Soda) –  12 ग्राम

गर्म पानी (Hot Water) – एक लीटर 

परिचालन शर्ते व प्रयोग विधि (How to Use)

बाथ का तापमान (Temp. of Bath) – 195° से 212° फारेन०

पी०एच० (pH)- 6:5 (साढ़े छह) 

वस्तुओं को घोल में डुबोने का समय (Time) – दो से आठ मिनट 

इस बाथ या घोल का प्रयोग लगभग उबलने की स्थिति तक गर्म अवस्था अर्थात् 90° से 100° सेण्टीग्रेट (195° से 212°F) तापमान पर किया जाता है और वस्तुओं को कोटिंग की सतह की मोटाई के अनुसार दो से आठ मिनट तक के लिए बाथ में डुबोकर रखने के बाद निकालकर सुखा लिया जाता है। उन्हें पानी में धोया नहीं जाता। सुखाने की विधि का पूर्ण विवेचन इस अध्याय के अन्त में दिया जा रहा है।

2. मल्टीपरपज सीलिंग बाथ (Multi Purpose Sealing Bath)

लगभग हर प्रकार की एनोडाइजिंग सतह को स्थाई बनाने की क्षमता से युक्त यह बाथ वास्तव में हेवी ड्यूटी बाथ की ही मृदु रूप है । इस बाथ के सभी रचक ही नहीं प्रयोग करने की सम्पूर्ण विधि भी हेवी ड्यूटी सीलिंग बाथ के समान ही है बस इसकी पी० एच वैल्यू साढ़े छह के स्थान पर सात (pH-7) रखना आवश्यक है। पूरा फार्मूला इस प्रकार है

पोटाशियम बाइक्रोमेट (Potassium Bichromate) – 15-16 ग्राम 

केल्शिनेड सोडा (Calcined Soda) – चार ग्राम 

कॉस्टिक सोडा (Caustic Soda) – तीन ग्राम 

गर्म पानी (Hot Water) – एक लीटर

इस बाथ का प्रयोग भी 90° से 100° सेण्टीग्रेट अर्थात् 195° से. 212° फारेनहाइट गर्म अवस्था में ही किया जाता है और वस्तुएं दो से आठ मिनट के लिए ही बाथ में डुबोकर रखी जाती हैं। बाथ की पी० एच० वैल्यू सात (seven) रखना अनिवार्य है। आप उपरोक्त दोनों बाथों के मध्य विविध क्षमताओं के बाथ भी तैयार कर सकते हैं बस इसके लिए तीनों रचकों की मात्राओं को एक अनुपात में घटाना या बढ़ाना पड़ेगा।

3. मन्दगति का बाथ (Slow Speed Sealing Bath)

यह बाथ उपरोक्त दोनों वाथों से काफी सस्ता पड़ता है परन्तु काम भी बहुत मन्द गति से करता है। इस बाथ में वस्तुओं को लगभग बीस मिनट (20 minutes) तक डुबोकर रखना पड़ता है। इस बाथ का प्रयोग भी 90° से 100° सेण्टीग्रेट गर्म अवस्था में ही किया जाता है। 

इस बाथ को बनाना बहुत ही आसान है क्योंकि प्रति लीटर गर्म पानी में मात्र 120 से 150 ग्राम के मध्य पोटाशियम डाइक्रोमेट (Potassium Dichromate) ही मिलाना पड़ता है। इस बाथ में पानी के साथ केवल 12 से 15 प्रतिशत तक पोटाशियम डाइक्रोमेट ही मिलाया जाता है अन्य कोई सहायक रचक या रसायन प्रयोग नहीं किया जाता अतः तकनीकी भाषा में इसे पोटाशियम डाइक्रोमेट सोल्यूशन भी कहा जाता है।

4. सिलिंग की सस्ती विधि (Cheapest Sealing Process)

सजावटी वस्तुओं पर सस्ती व सामान्य एनोडाइजिंग करने के लिए कभीकी कुछ एनोडाइजर उपरोक्त तीनों बाथों में से किसी भी एक का प्रयोग करने के स्थान पर इस सस्ती विधि से भी काम चला लेते हैं। एक बन्द कमरे में किसी कड़ाही या बड़े पतीले में पानी उबलने रख दिया जाता है और एनोडाइजिंग की गई वस्तुएं कमरे में लटका दी जाती हैं। 

उबलते हुए पानी की उड़ने वाली भाप (steam or vapours) वस्तुओं पर जमा होती रहती है और इस प्रकार एल्यूमिनियम की वस्तुओं पर जमी ऑक्साइड की परत मजबूती से जम जाती है। एनोडाइज की गई वस्तुओं र ऑक्साइड की परत की सीलिंग किसी भी विधि से की जाए, सीलिंग के पश्चात् उन्हें पानी में धोया नहीं जाता बल्कि गर्म हवा के झोंकों में सुखाया जाता है।

वस्तुओं को सुखाना (Drying)

एनोडाइज्ड की गई वस्तुओं को सीलिंग कर देने से उन पर जमी हुई ऑक्सापरत पर्याप्त मजबूत तथा स्थाई हो जाती है यदि उन्हें तत्काल ही गर्म हवा के झोंकों में सुखा लिया जाए। सीलिंग करने के पश्चात् यदि आप वस्तुओं को गर्म या ठण्डे पानी से धो लेंगे तो वस्तुओं की सतह पर जमा हुआ और महीन छिद्रों में भरा हुआ रसायन घुलकर उतर जाएगा और ऑक्साइड की परत भी क्षतिग्रस्त हो जाएगी। 

एनोडाइजिंग परत (layer of oxide) को स्थाई व मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है कि वस्तुओं पर लगे हुए सीलिंग बाथ के रासायनिक अंशों को तत्काल ही सुखा दिया जाए। इस कार्य को करने के लिए दो उपकरणों की आवश्यकता होती है। बिजली के हीटर्स और बिजली के टेबल पंखे। 

एक कमरे में दीवारों के साथ-साथ कुछ बिजली के हीटर (Heaters) रख कर चालू कर दीजिए । हीटरों के आगे की ओर बिजली के पंखे (tabel fans) रख दीजिए। इस कमरे में बीच के हिस्से में सालिंग की गई वस्तुएं रख दीजिए-वस्तुएं मेजों पर रखी जा सकती हैं या तारों में बांध कर लटकाई जा सकती हैं और बहुत छोटी वस्तुएं तार की जाली में रखकर लटकाई जा सकती हैं। 

हीटर्स कमरे की हवा को गर्म करेंगे, बिजली के पंखे गर्म हवा के झोंकों को वस्तुओं पर दबाव के साथ फेकेंगे और इस प्रकार एनोडाइज की गई वस्तुएं एकदम सूख जाएंगी। इन वस्तुओं को न तो इतना अधिक गर्म होने दें कि ऑक्साइड की परत चटक जाए और न ही इतनी कम हवा लगाएं कि उनमें रंचमात्र भी नमी (moisture) रह जाए। वस्तुओं को सुखाने के बाद एक-एक वस्तु को कागज में लपेटकर रख दीजिए। इस प्रकार पूर्ण हो गई आपकी एनोडाइजिंग की सम्पूर्ण प्रक्रिया।

एनोडाइजिंग से पूर्व की क्रियाएं सफाई व पॉलिश आदि तथा बाद की क्रियाएं सीलिंग व ड्राइंग तो सभी वस्तुओं पर और प्रत्येक प्रकार की एनोडाइजिंग में समान रूप से ही की जाती हैं परन्तु प्रत्येक प्रकार की एनोडाइजिंग के लिए अलगअलग बाथों व परिचालन स्थितियों का प्रयोग किया जाता है। 

यही कारण है कि एनोडाइजिंग की पूर्व व पाश्चात् क्रियाओं का विशद विवेचन ही इस  आर्टिकल में किया गया है। आप प्रत्येक प्रकार की एनोडाइजिंग में इन्हीं विधियों व प्रक्रियाओं का प्रयोग कर सकते हैं। एल्यूमिनियम की बनी वस्तुओं पर एनोडाइजिंग करने की प्रक्रिया काे हम अगले दो  आर्टिकल में जानेंगे और रंगीन एनोडाइजिंग और अन्य धातुओं पर एनोडाइजिंग कैसे की जाती है आगे के आर्टिकल में जानेंगे।

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