Property of Common Engineering Metals

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Property of Common Engineering Metals

Property of Common Engineering Metals

                                         वर्कशॉप में हम अधिकतर धातुओं से निर्मित कच्चे माल पर कटिंग प्रक्रिया करके उसे उपयोगी वस्तु में बदलते हैं। जैसे :-  शाफ्ट, बेरिंग, और बुश भी कई प्रकार के उपयोगी पार्टस  बनाते हैं। पारे को छोड़कर सभी ठोस धातुएं ठोस होती है।पीट कर चादर के रूप में लाया जा सकता है। खींचकर तार का रूप दिया जा सकता है। यह धातु विद्युत के सुचालक होती है। सभी धातुओं पर  ताप / आग का भी प्रभाव पड़ता है। फिर भी सभी धातुओं के गुणों में भी अनेकता होती है। उन्हें गुणों के आधार पर अलग-अलग उपयोग के लिए धातु का चयन किया जाता है। अतः अच्छे मशीनिस्ट को विभिन्न धातुओं व उनके गुणों का ज्ञान होना चाहिए। धातुओं में कुछ दूसरे तत्व को साथ मिलकर यौगिक धातु (Compound metal) बनाये है। प्राकृतिक धातुओं (Natural Metal) के योगिक अयस्क (Ore)  के रूप में उपलब्ध रहते हैं जिनसे धातुओं का निष्कर्षण (Extraction) किया जाता है। उसके बाद शुद्धिकरण (purification) किया जाता है। धातुओं का उपयोग करने के लिए उनकी विशेषताओं की जानकारी होना जरूरी होता है। इनमें भौतिक, रासायनिक, यांत्रिक, विद्युतीय आदि गुण होते है। इन गुणों की जानकारी होने पर ही उपयुक्त धातु का चयन किसी कार्य विशेष कं लिए किया जा सकता है।

 धातुओं के गुण
                    धातुओं में मुख्य रूप से तीन प्रकार के भूल पाए जाते हैं


                     भौतिक गुण (Physical Properties), यांत्रिक गुण (Mechanical Properties), रासायनिक गुण (Chemical properties)

भौतिक गुण (Physical Properties) Property of Common Engineering Metals

                          भौतिक गुण धातुओं में स्थाई रूप से होते हैं। इन गुणों से धातु को पहचान की जा सकती है। आमतौर पर भौतिक गुण निम्नलिखित होते हैं :-
                           रंग (Colour) _  हर घातु का कोई न कोई रंग होता है।  जैसे :- चांदी और एल्यूमीनियम का रंग सफेद होता है।, ढलवां लोहा का रंग काला होता है। पीतल का रंग पीला होता है। तांबे रंग लाल होता है।
                           गलनीयता (Fusibility) _ इस गुण के कारण घातु किसी निश्चित तापमान पर पिघलकर द्रव बन जाती है। हर धातु का गलनांक अलग अलग होता है। जैसे :-  एल्यूमीनियम का गलनांक 648°C होता है।सीसे का 327°C गलनांक होता है। 3:00 का गलनांक 230°C होता है। कास्ट आयरन का गलनांक 1250°C होता है। तांबे का गलनांक 1083°C होता है।
                          भार (Weight) _ प्रत्येक धातु का अपने आयतन के अनुसार भार निश्चित होता है। अलग-अलग धातुओं का अलग-अलग भार होता है। जैसे :-  सीसा ( Lead) सबसे भारी होता है और  और एलुमिनियम  (Aluminum) सबसे हल्की धातु है। धातु का भार प्रति घन सेंटीमीटर निर्धारित होता है।
                        संरचना (Structure) _  धातु को यदि तोड़कर देखा जाए तो उसके अंदर की बनावट अलग-अलग होती है। जैसे :- स्टील के भीतर की बनावट ग्रेनुलर (Granular), ढलवा लोहा की बनावट क्रिस्टलाइन (Crystalline), इस्पात की बनावट कणिक (Granules),  पिटवा लोहा की बनावट रेशेदार (Fibrous) सरंचना लिए हुए होते हैं।
                        आपेक्षिक घनत्व (Relative Density) _ समान आकार की विभिन्न धातुओं का वजन अलग-अलग होता है। जैसे :-  पारा और सीसा भारी होते हैं। जबकि एल्यूमीनियम हल्का होता है
                       चुम्बकत्व (Magnetism) _ लौह धातुओं को चुम्बक अपनी ओर खींचता है और अलौह धातुओं को नहीं खींचता है।
                       धातुओं की ऊष्मा और विद्युत की चालकता (Connectivity of Heat and Electricity) _ धातुओं की ऊष्मा और विद्युत की चालकता अलग-अलग होती है। जैसे :- ताम्बे की ऊष्मा और विद्युत की चालकता लोहे से अघिक होती है।

                      धातुओं में निम्नलिखित यांत्रिक गुण होते है :-
                         आघातवर्ध्यता (Meleability) _ धातु को रोलिंग या हथौडे से फैलाने से फैलाने  के गुण को आधातवर्ध्वता कहते हैं। यह गुण सबसे ज्यादा में है।
                        कठोरता (Hardness) _ कुछ धातुओं को काटना या खुरचना मुश्किल होता है। उनके इस गुण को कठोरता कहते हैं। कठोर धातु दूसरी धातु को खुरच सकती है। जैसे सीसे (Lead) और इस्पात (Steel) पर किसी कठोर नुकीले उपकरण (Tool) से लाइन खींची जाए तो सीसे पर ज्यादा गहरी लाइन खिंचेगी।  इससे साबित होता है कि सीसा मुलायम और इस्पात कठोर धातु होता है।
                     प्लास्टिसिटी (Plasticity) _  यह धातु का वह गुण है, जिसके द्वारा उसे उष्मा या दाब अथवा दोनों के प्रभाव से धातु को निश्चित आकार में बदला जा सके और इंजीनियरिंग क्षेत्र में प्रयोग में लाया जा सके इस गुण के कारण उस सुषमा या दाब दोनों का प्रभाव पड़ने पर धातु विभिन्न दिशाओं में फैलने शुरू हो जाती है और इसे आसानी से पूर्व निर्भर निर्धारित आकार में लाया जा सकता है।
                    प्रत्यास्थता (Elasticity) _ घातु पर प्रतिबल लगाया जाए तो वह अपनी दशा बदल लें और प्रतिबल हटाने पर अपनी पहले की स्थिति में आ जाए। उसके इस गुण को प्रत्यास्थता कहते हैं।

                    चिमड़पन (Toughness) _ धातु को मोड़ने (Branding) और मरोड़ने (Testing)के बल को सहन करने के गुण को चिमडपन कहते है। पिटवा लोहा ओंर मृदु इस्पात में चिमड़पन एल्यूमीनियम और पीतल से ज्यादा होता है।
                     तन्मयता (Ductility) _ जिस गुण के कारण धातुओं को खींचकर तार बनाए जा सकते हैं, वह तन्यता कहलाती है। लगभग सभी धातुओं के तार बनाए जा सकते हैं। जैसे :- आयरन, तांबा, पीतल, एलुमिनियम, सोना, चांदी आदि। जिस धातु का जितना अधिक पतला तार बनाया जा सकता है वह धातु नहीं अधिक तन्यता लिए हुए होती है।

                  भंगुरता (Brittleness) _ हथौडे से प्रहार करने पर टुकडे-टुकडे होने के गुण को भंगुरता कहते हैं। ढलवां लोहा हधौड़े से चोट मारने पर टुकडों में बिखर जाता है, परंतु मृदु इस्पात नहीं बिखरता

                     कड़ापन (Stiffness) _ बाहरी प्रभाव से धातु में आए विक्षेपण का प्रतिरोध करने के गुण को कडापन कहते हैं। जिस धातु में विक्षेप कम होता है उसमें कड़ापन ज्यादा होता है।
                   थकान प्रतिरोध (Resistance) _ धातु पर लगने वाले लगातार झटकों को बिना टूटे सहन करने के गुण को थकान प्रतिरोध कहते हैं।

Property of Common Engineering Metals
रासायनिक गुण (Chemical Roperties)

                    रासायनिक गुणों का मतलब है की जब किसी धातु को किसी दुसरे तत्व के साथ अभिकिया करायी जाती है तब धातु के गुण मे क्या परिवर्तन होता है |
                  ऑक्सीजन  (Oxygen) _ धातुओं की अभिक्रिया ऑक्सीजन के साथ कि जाय तो लगभग सभी धातुएँ ऑक्सीजन के साथ मिलकर  धातु को ऑक्साइड बनाती हैं।
                  जल (Water) _ जब धातु की अभिकिया जल के साथ अभिकिया की जाती है तब  धातुएँ हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड उत्पन्न करती हैं। जो धातु ऑक्साइड जल में घुलनशील हैं|
                  माप (Steam) _ ऐलुमिनियम, आयरन तथा जिक जैसी धातुएँ न तो ठण्डे जल के साथ और न ही गर्म जल के साथ अभिक्रिया करती हैं। लेकिन भाप के साथ अभिक्रिया करके यह धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन प्रदान करती हैं।

Property of Common Engineering Metals
           धातुओं का वर्गीकरण (Classification of Metal)
                      धातुओं को तीन वर्गों में रखा जा सकता है :-

लौह धातु (Ferrous Metals)

                   लोहा धातु में लोहे की मात्रा ज्यादा होती है। जैसे :-  मृदु इस्पात (Milt Steel), ढलवा लोहा (Cast Iron), पिटवा लोहा (Wrought Iron), इस्पात (Steel)

अलौह धातु (Non Ferrous Metals)

                    अलौह धातु में लोह की मात्रा नहीं होती है। जैसे :- सीसा (Lead), पीतल (Brass), तांबा (Copper),  एलुमिनियम (Aluminium), जस्ता (Sink), टीन (Tin)

मिश्र धातु (Alloy Steel)

                   मिश्र धातु दो प्रकार की होती है।
                  लौह मिश्र धातु (Ferrous Alloy Natal)
                  दो या दो से अधिक धातुओं व कुछ प्रतिशत लौह धातु को मिलाकर जो मिश्र धातु बनाती है उसे लौह मिश्र धातु कहते हैं। जैसे  :- क्रोमियम स्टील (Chromium Steel), स्टील (Steel), टंगस्टन (Tungsten)
                   मिश्र धातु
                 दो या दो से अधिक धातुओं को मिलाकर जो मिश्र धातु बना बनती है, जिसमें लौह धातु मिक्स ना हो उसे अलौह मिश्र धातु कहते हैं। जैसे _ पीतल (Brass), कांसा (Bronze), गनमेटल (Gunmetal), तांबा (Copper)
लौह धातु और अलौह धातु में अंतर

लौह धातु (Ferrous Metal)

                    इस में लोहे की मात्रा अधिक होती है। किस का गलनांक ज्यादा होता है। यह ठंडी अवस्था में भंगुर होती है मतलब हथौड़े की चोट मारने पर टुकड़े-टुकड़े हो जाती है। रंग काला या स्लेटी होता है। यह कम सिकुड़ती है। इस पर जंग ज्यादा लगती है।

अलौह धातु

                    इसका गणना लौह से कम होता है। यह गर्म करने पर भंगुर होती है अर्थात गरम पर हथौड़े से चोट मारने पर टुकड़े-टुकड़े हो जाती है। यह कई रंगों में होती है। यह ज्यादा सिकुड़ती है। इस पर जंग कम लगता है।
पिंग लौह (Pig Iron)
                   यह भंगुर होता है इसमें कार्बन ओंर अशुद्धियां अधिक होती है । यह लोहा घटिया किस्म का होता हे । इसे सीधे उपयोग में नहीं लिया जाता । कई प्रकार के लोहे और इस्पात बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। जैसे ढलवां लोहा, पिटवां लोहा, इस्पात आदि ।

        ढलवां लोहा (Cast Iron)                  

                यह पिंग लौह से बनाया जाता है। इसमें कार्बन 1 से 4.5 प्रतिशत तक होता है। इसकी विशेषताएं
                ढलवां लोहा भंगुर होता है। स्था यह आघातवर्व्य और तन्य नहीं होता है। इस पर जंग नहीँ लगती। इसे पिघलाकर किसी भी आकार मेँ ढाला जा सकता है। इसमें खिंचाव शक्ति कम और दबाब शक्ति ज्यादा होती है। इसका गलनांक लगभग 1200०C होता है। इसे वेल्ड करना मुश्किल होता है। यह झटके नहीं सह पाता है। इसका उपयोग मशीनों के पुर्जे, बॉडी, पहिए, गियर आदि बनाने में किया जाता है।

पिटबां लोहा (Wrought Iron)

                 इसमें कार्बन की मात्रा 0.15% तक होती है। यह सबसे शुद्ध लोहा होता है। यह पिग लोह या ढलवां लोहे से बनाया जाता है‌।यह नीले से रंग का होता है। इसकी विशेषताएं निग्नलिखिए
               यह ताप और बिजली का सुचालक होता है। इसको आसानी से वेल्ड किया जा सकता है। यह आघातवर्ध्य, चिमड़ और तन्य होता है। इसका गलनांक 1335०C होता है। इसको कठोर नहीं किया जा सकता परंतु टेम्पर किया जा सकता है। इसमें आसानी से जंग नहीं लगता। इससे अस्थाई चुम्बक बनाया जा सकता है। पिटबां लोहे का उपयोग रिवट. चेन, हुक. कील, पाइप, तार आदि बनाने कं लिए किया जाता है। इस्पात बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।

 मृदु इस्पात (Mild Steel)

                  इसमें कार्बन 0.03% से 0.9% तक होता है । यह निम्न श्रेणी इस्पात कहलाता है। इसको विशेषताएं
यह तन्य और आघातवर्व्य है। इस पर वेल्डिंग आसानी से कर सकते हैं। यह तनाव और दबाव सहने मै समर्थ होता है। इसे फोर्ज किया जा सकता है। इसे आसानी से मशीनिंग किया जा सकता है। इसे हार्ड और टेम्पर नहीं किया जा सकता बल्कि इसे केस हार्ड किया जा सकता है। इसका उपयोग तार, चादर, नट-बोल्ट, रिवट, गार्डर आदि बनाने में किया जाता है।

मध्यम कार्बन इस्पात (Medium Carbon Steel)

               इसमें कार्बन 0.07% से 0.25% तक होता है । इसकी विशेषताएं निग्नलिखित हैं। यह मृदु इस्पात से अघिक मजबूत होता है। इसमें मृदु इस्पात के मुकाबले कम आघातवर्व्य और कम तन्य होता है। यह बीयर और शॉक (Wear and Shock) प्रतिरोधी होता है। 0.5% से ज्यादा कार्बन वाले इस्पात को एक सीमा तक कठोर किया जा सकता है। इसका उपयोग वायर, पाइप. छोटे एक्सल, साधारण हस्त उपकरण (Hand Tools), आदि बनाने में किया जाता है।

उच्च कार्बन इस्पात (High Carbon Steel)

              इसमें कार्बन 0.7% से 1.5% तक होता है। कार्बन की मात्रा बढने से कठोरता बढती है। इसकी विशेषताएं
               यह मध्यम कार्बन इस्पात और मृदु इस्पात से ज्यादा मज़बूत होता है।  इसे कठोर और टेम्पर किया जा सकता है। इसकी आघातवर्व्यता और तन्यता कम होती है। इसे स्थाई चुम्बक बनाया जा सकता है। इसमें जंग जल्दी लगती है। इसका गलनांक 1300०C होता है। इसका उपयोग डाई , टेप, रेती, ड्रिल, हथौडे, सॉफ्ट, स्प्रिंग,, गेज आदि बनाने में किया जाता है।

उच्च चाल इस्पात (High Speed Steel)

                इसमें 18% टंगस्टन, 4% क्रोमियम, 1% वैनेडियम, 0.7%  कार्बन और शेष लोहा होता है। इसे 18-4-1 इस्पात के नाम से जाना जाता है। इसकी विशेषताएं
          यह कठोर और चिमड़ होता है। इसकी सामर्थ्य ज्यादा होती है। कठोरीकरण 1280०C पर किया जाता है।
इसका उपयोग खराद कर्तन औजार, ड्रिल, आदि बनाने में किया जाता है।

अलौह धातुओं की संरचना, विशेषताएं और उपयोग
(Composition Properties and uses of Non Ferrous Metal)

              वे धातु जिनमें लोह कण नही होते अलौह धातु कहलाती हैं। यह आमतौर पर मुलायम आघातवर्ध्य ओंर तन्य होती हैं। जैस :- तांबा, जस्ता, एल्यूमीनियम, सीसा, टिन आदि।

तांबा (Copper)

                यह ताम्र पाइराइट (Copper Pyrite) नामक अयस्क (Ore) से बनाया जाता है। इसकी विशेषताएं
               रंग कालापन लिए हुए लाल (Blackish Red) होता है। यह ताप और बिजली का अच्छा सुचालक होता है। यह नरम, आधातवर्व्य ओंर तन्य होता है।इसमें जग नहीँ लगती है। इसका आपेक्षिक घनत्व 8.93 होता है। इसे ढाला, फोर्ज या रोल किया जा सकता है।
                इसका उपयोग बिजली क तार, बिजली के उपकरण घरेलू बर्तन, ट्यूब, स्टीम पाइप, रिवट आदि और पीतल व कांसे जैसी मिश्र धातुएं बनाने में किया जाता है।

एल्युमीनियम (Aluminium)

               एल्यूमीनियम एक खनिज पदार्थ है जो बॉक्साइट (Boxite) अयस्क से निकाला जाता है। इसकी विशेषताएं
               इसका रंग नीला सफेद (Bluish White) होता है। यह बहुत हल्का होता है। इसका गलनांक लगभग 650०C होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 2.7 होता है। यह नरम आघातवर्व्य और तन्य होता है। इसमें जंग नहीं लगती है।  लोहे, तांबे और जस्ते कं साथ उपयोगी मिश्र धातु बनाई जाती है ।इसका उपयोग घरेलू बर्तन, बिजली कं तार, हवाई जहाज, रेल कं डिब्बे, पेंट आदि बनाने में किया जाता है।

जस्ता (Zinc)

                यह भी एक खनिज धातु है। इसे जिंक सल्फाइड और जिंक काबॉंनेट नामक अयस्कॉ से निकाला जाता है। इसकी विशेषताएं
                इसका रग नीला सफेद (Bluish White) होता है। यह भंगुर होता है ओंर गर्म करने पर आधातवर्ध्य हो जाता है‌। इसे ढाला और रोल किया जा सकता है। इसका गलनांक 420°C होता है। इसमें जंग नहीं लगती है। इस पर तेजाब का असर जल्दी पडता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 8.19 है।
                इसका उपयोग आमतौर पर मिश्र धातु बनाने में किया जाता है। धातुओं पर लेपन (Galvanizing) में भी प्रयुक्त किया जाता है । इससे जिंक पेंट भी बनाए जाते है।

 सीसा (Lead)

                सीसा को गेलेना (Galena) नामक अयस्क से बनाया जाता है। इसके विशेषताएं
                इसका रंग नीला-सलेटी-सफेद (Blue-Grey- White) होता है। इसका गलनांक 327°C होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 11.36 होता है अर्थात यह बहुत भारी धातु होती है। यह आघातवर्ध्य और तन्य होता है। इस पर पानी और तेजाब का असर नहीं होता।
                 इसका उपयोग बंदूक की गोली व छर्रे बनाने, बैटरी सेल, बिजली के तारों के कवर, लेड पेंट, मिश्र धातु आदि बनाने में किया जाता है।

टिन (Tin)

               इसे रांगा भी कहते हैं जिसे टिन स्टोन (Tin Stone) अयस्क से निकाला जाता है । इसकी विशेषताएं
               इसका रंग चांदी की तरह सफेद (Silvery White) होता है। इसका गलनांक 232°C और आपेक्षिक घनत्व 7.3 होता है। इस पर तेजाब का असर नहीं पडता। यह आघातवर्व्य और तन्य होता है। इसका उपयोग पीतल कं बर्तनों पर कलई करने, टिन कोटिंग करने और मिश्र धातुएं बनाने में किया जाता है।

अलौह मिश्र धातुएं (Non Ferrous Metal)
पीतल (Brass)
सिल्वर जर्मन (German Silver)
कांसा (Branze)
मोनेल मेटल (Monel metal)
ड्यूरालुमिन एलोय (Duralumin alloy)
मैंगनीज कांसा (Magnese branze)
सिलिकॉन कांसा (Silicon bronze)
फास्फोर कांसा (Phosphor bronze)
गन मेटल (Gunmetal)
अधातुएं (Non Metal)


                     अधातुआँ में कोई भी धातु नहीं होती है।इंजीनियरिंग क्षेत्र में आमतौर पर दो अधातु रबर और प्लास्टिक काम आती हैं। रबर (Rabber) प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, और इसे बनाया भी जा सकता है। यह स्पष्ट तन्य और एसिड भ्रूफ होता है। यह कंपन को सह सकता है। कृत्रिम रबड़ अधिक ताप को सहन कर लेता है ओर किसी भी आकार में मोडा जा सकता है। प्लास्टिक (Plastic) को रासायनिक क्रिया द्वारा एक अणु के साथ अन्य अणुओं को जोडकर बनाया जाता है। इसकी ताकत (Strength) तापमान से प्रभावित होती है। यह भार में बहुत हल्का होता है, और बहुत अच्छा इन्मुलेटर होता है‌। इसमें एंटी फ्रिक्शन गुण होता है।

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धातुओं को पहचानना (Identification of Metal)

                   धातुओं की पहचान कं लिए उन पर बिभिन्न परीक्षण किए जाते हैं। धातुओं को उनके रंग ओर दिखावट से भी पहचाना जा सकता है। जैसे-मृदु इस्पात चिकना व हल्का नीला, पीतल पीला व तांबा लाल भूरा होता है।

                 रेतन परीक्षण (Filling Test) _ रेतन क्रिया करने पर मृदु इस्पात सरल व नरम अनुभव करती है। ढलवां लोहा कठोर व काला बुरादा, पिटवां लोहा रेतन रोधी व सफेद बुरादा, उच्च कार्बन इस्पात कठिन रेतन व कठोर घातु सीसा, तांबे औंर पीतल का रेतन नरम अनुभव किया जाता है।

                 चुम्बकीय परीक्षण (magnetic Test) _ लौह घातु, निकल, कोबाल्ट या इनकी मिश्र धातु चुम्बक से आकर्षित होती है। अन्य अलौह धातुएं चुम्बक से आकर्षित नहीं होती है।

                 ध्वनि परीक्षण (Sound Test)- यह परीक्षण धातु को फर्श पर गिराकर या आपस में टकराकर उसकी ध्वनि से पहचान कर किया जाता है। धातु को लगभग 2 मीटर ऊंचाई से गिराया जाता है। गिराने पर मृदु इस्पात से मंद खनखनाहट वाली, पिटवां लोहा मंद, ढलवां लोहा बहुत मंद खनखनाहट, उच्च कार्बन इस्पात तीव्र खनखनाहट, एल्यूमीनियम मंद. पीतल कम ध्वनि और कांसे से घंटी जैसी ध्वनि होती है।

                 ग्राइंर्डिग परीक्षण (grinding test) _ धातु के टुकड़े को ग्राइंडर पर रगड़कर उससे निकलने वाली चिंगारिर्यों से निष्कर्ष निकाला जाता है। धातु से निकलने वाली विंगारियों की मात्रा, दूरी और रंग पता किया जाता है।

               ढलवां लोहा _ कम, कम दूरी, कुछ लाल कुछ पीली ।
               पिटवां लोहा _ अधिक, मध्यम दूरी, पीली ।
               मृदु इस्पात _ अधिक, लम्बी, सफेद ।
               उच्च कार्बन इस्पात _ कम, कम लम्बाई, लाल पीली।
               उच्च चाल इस्पात _ कम, कम लम्बाई, लाल–पीली।

               भार परीक्षण (Wright Test) _ धातुओं का घनत्व (भार) अलप-अलग होता है। हाथ में उठाने पर धातु को भार के आधार पर पहचाना जा सकता है।

               बंकन परीक्षण (Break Test) इस परीक्षण में धातु को तोडा जाता है। हथोड़े से आघात करने पर भंगुर धातु शीघ्र टूट जाती है और तन्य धातु टूटने में ज्यादा समय लेती है‌। पिटवां लोहा, सीसा और तांबा टूटने में अधिक समय लेते है तथा पीतल, कांसा और एल्यूमीनियम कम समय में टूट जाते हैं । ढलवां लोहा मुड़ता नहीँ परंतु चोट मारने पर आसानी से टूट जाता है। उच्च चाल इस्पात बहुत मुश्किल से टूटता है।

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